सात्विक भोजन की योजना, नियम और सिद्धांत

सात्विक भोजन 

 हमारे देश में हजारों सालों से सात्विक भोजन और सात्विक अन्न को ही महत्व दिया गया है | सात्विक खाना आपके शरीर के लिए इतना महत्वपूर्ण है की आप खुद भी नहीं जानते | सात्विक भोजन जो हमारे अंदर जाकर सतोगुण को बढ़ाता है| सतोगुण मन का एक गुण होता है जब हम सात्विक भोजन करते है तो सबसे ज्यादा असर उसका हमारे मन पर पड़ता है | इस से हमारे मन में शांति मिलती है और किसी भी प्रकार की ईर्ष्या ,द्वेष , और नकारात्मक सोच में कमी आती है | हमारा मन सकारात्मक हो जाता है| खुद पर नियंत्रण हो जाता है और सात्विक भोजन खाने से अनेकों बिमारिओं से खतरा कम हो जाता है | यही नहीं हमारे शरीर के अंदर जो भी क्रियाएं चल रही हैं वो भी  नियंत्रण में हो जाती हैं क्यूंकि जो सात्विक भोजन होता है बहुत ही हल्का और सुपाच्य होता है यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत रखता है | आज के दौर में इंसान को तनाव व डिप्रेशन होना आम बात है अगर सात्विक भोजन खाते है तो किसी भी मानसिक विकार से दूर रहेंगे | 

हर एक मनुष्य में यह तीन गुण पाए जाते हैं १) सात्विक गुण २) राजसिक गुण  ३) तामसिक गुण 

इन तीनो गुणों में सात्विक गुण अन्य गुणों की अपेक्षा अधिक शुद्ध होता हैं जिससे जीव सुख और वास्तविक ज्ञान उत्पन होता है |

 'सात्विक भोजन' खाने वाले व्यक्ति  के लक्षण प्रसन्नता, संतुष्टि,धैर्य,क्षमा और अध्यात्म के प्रति झुकाव होता है | अनाज, मक्खन और पनीर जैसे डेयरी उत्पाद, सेम और दाल,ताजी सब्जियां, हर्बल चाय, मधु, फलियां, दाने,जैविक रूप से उगाए गए ताजे फल और सब्जियां, फलों का रस,अंकुरितबीज,संपूर्णचक्की आटा इस श्रेणी में आते हैं।

 'राजसिक भोजन' तनाव और क्रोध को बढ़ाता है, गतिविधि को प्रेरित करता है और बेचैनी को बढ़ाता है। कैफीनयुक्त पेय जैसे चाय, कॉफी, कोला, चॉकलेट, मसालेदार भोजन, अंडे, तीखे,तला,तीखा,चटपटा और जंकफूड खाद्य पदार्थ इस श्रेणी में आते हैं।

 'तामसिक भोजन' शरीर को सुस्त और आलसी महसूस कराता है। इसमें प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, परिरक्षक से भरे खाद्य पदार्थ, मांस, मछली, अंडे, प्याज, लहसुन, मशरूम, शराब और बासी भोजन शामिल हैं। आयुर्वेद कहता है कि कोई भी भोजन जो तीन घंटे से अधिक समय तक नहीं खाया जाता है वह तामसिक हो जाता है।

  २ तरह के भोजन होतें हैं

  1. रस से भरा हुआ भोजन(water rich ) तरबूज ,पपीता, अंगूर, संतरा,खीरा,टमाटर, हरी पत्तेदार,    सब्जीआं,लोकि| 
  2. बिना रस का भोजन    (water poor ) अनाज,चावल,गेहूं, मेवे,दाल,आलू,अरवी आदि

आप सब ये तो जानते ही हैं की आपका शरीर 70% पानी हैं और 30% ठोस (हड्डी,मसल्स और मास) है | तो स्वाभविक हैं की आपकी डाइट 70% वाटर रिच फ़ूड की होनी चाहिए और 30% वाटर पुअर की, पर आज कल लोग इन सब का उल्टा खाते हैं |

सात्विक आहार के कुछ  नियम :- 

बोतलबंद ,पैकेटबंद ,डिब्बाबंद,कोई भी ऐसी चीज जो इंसानो द्वारा फैक्ट्री में बनाई गई हो | ऐसा भोजन करें जो सीधा प्रकर्ति से आता हो जैसे की फल,सब्जिअं ,स्प्राउट,अनाज और मेवे | 

बिस्कुट की वजह नारियल की गिरी के टुकड़े खाएं |

सोडा कैन की जगह नारियल पानी और जूस पीएं |

नमकीन की जगह ताजे फल खाएं |

होलसम भोजन करना चाहिए जो सीधा हमें धरती से मिलता है जिसमे पूर्णता होती है जिसमे से कुछ निकाला नहीं जाता बल्कि सारे पोषक तत्त्व एक सही मात्रा में दिए हुए जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाते हैं | 

सफ़ेद चावल की वजह ब्राउन चावल खाना चाहिए जो चोकरयुक्त होता है |

चीनी की जगह गुड़ और खजूर खाएं |

   सात्विक भोजन की योजना

 एक अच्छे आयुर्वेदिक, सात्विक भोजन की योजना बनाते समय ध्यान देने योग्य बातें

आप जो खाते हैं वह अंततः आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। यही कारण है कि डॉक्टर, आहार विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विशेषज्ञ आपको इस बात का ध्यान रखने का सुझाव देते हैं कि आप अपनी थाली में क्या डालते हैं, विशेष रूप से अभी महामारी में, जब स्वास्थ्य और महंगाई ने महत्व ग्रहण कर लिया है।

न केवल भारत में, बल्कि दुनिया भर में, सात्विक भोजन ने अपार लोकप्रियता हासिल की है। 

आयुर्वेद में सात्विक आहार तीन गुणों के संतुलन में विश्वास करता है - तमस, रजस और सत्व - जो नेतृत्व करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, एक स्वस्थ्य जीवन।

सात्विक खाद्य पदार्थ शरीर में शुद्धता, स्वास्थ्य, सद्भाव और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं। इस आहार में "शुद्ध असंसाधित भोजन शामिल है जो शक्ति में हल्का और प्राणिक ऊर्जा से भरपूर है"।

सात्विक आहार उच्च फाइबर, कम वसा वाला, शाकाहारी और पूरी तरह से संतुलित होता है। पका हुआ भोजन, तैयार करने के तीन से चार घंटे के भीतर सेवन किया जाता है, इसे भी सात्विक माना जाता है। चावल, गेहूं, जई, बाजरा, फलियां, दाल और जैसे साबुत अनाज। दालें, दूध, मौसमी सब्जियां और फल, घी, शहद, गुड़ सभी इसके उदाहरण हैं।"

9am   डेटॉक्स जूस - सफ़ेद पेठा,लोकि,नारियल                       पानी,सब्जिओं का जूस 
          -२ घंटे तक कुछ न खायें |
11am  मौसम के फल खाएं व स्प्राउट्स |  
2pm   सब्जी,दाल,चपाती,चावल और सलाद  
4pm   ताजा जूस,नारियल की गिरी, कोई फल खाएं या               हर्बल टी ले सकतें हैं |
6pm   २ चपाती, सब्जी और सलाद |

इन तीन सिद्धांतों का पालन करके एक साधारण संतुलित सात्विक भोजन की योजना बनाएं:

1. अपनी प्रकृति के अनुसार खाएं

अपनी प्रकृति का निर्धारण करने के लिए किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लें। कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनका सेवन उनकी अंतर्निहित प्रकृति के आधार पर करना चाहिए या नहीं करना चाहिए। एक बार जब आप अपनी पहचान कर लेते हैं, तो आपके लिए सही प्रकार के भोजन संयोजन को जानना आसान हो जाता है।

2. मौसम के अनुसार खाएं

आयुर्वेद हमें सिखाता है कि हमारा शरीर प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व में है और हमारा स्वास्थ्य और कल्याण इस बात पर निर्भर करता है कि हम इस बायोम से कितने जुड़े हुए हैं। ऋतुचर्या या ऋतुओं के अनुशासन के अनुसार भोजन करना, स्वस्थ जीवन जीने का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें एक आयुर्वेदिक जीवनशैली आहार दिनचर्या शामिल है जो शरीर को शरीर और दिमाग पर होने वाले मौसमी प्रभाव से निपटने में मदद करती है।

3. वह खाना जो स्थानीय रूप से उगाया और पारंपरिक रूप से पकाया जाता हो

सात्विक जीवन शैली में जाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चरणों में से एक यह सुनिश्चित करना है कि आप अपने आधार के संपर्क में रहें। आधुनिक गैस्ट्रोनॉमिकल दुनिया आपको जो कुछ भी दे रही है, उसका स्वाद लेना और उसका अनुभव करना महत्वपूर्ण है या नहीं, वहीं प्रत्येक भोजन को आवश्यक मात्रा में आहार फाइबर, विटामिन, खनिज, एंटीऑक्सिडेंट, प्रोटीन और स्वस्थ वसा के साथ संतुलन भी उतना ही महत्वपूर्ण है।


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