चक्रासन योग क्या है ?
चक्रासन योग में शरीर का आकार चक्र और पहिये के समान होने पर इसे चक्रासन कहते हैं | इसे उर्ध्वा धनुरासन भी कहते हैं | यह आसन रीड की हड्डी को मजबूत और लचीला बनाने के काम आता है |
चक्रासन अर्थ
चक्रासन संस्कृत से "चक्र" के रूप में "पहिया" को संदर्भित करता है, और "आसन" "मुद्रा" है। इस मुद्रा में पीछे की ओर मेहराब के कारण शरीर एक पहिये जैसा दिखता है, इसलिए इसे उर्ध्व धनुरासन भी कहा जाता है, क्योंकि पीछे की ओर मुड़ा हुआ शरीर ऊपर की ओर झुके हुए धनुष का अनुकरण करता है।
चक्रासन करने की विधि - सबसे पहले आप अपनी पीठ के बल नीचे चटाई पर लेट जाएं और अपने घुटनों को फर्श पर टिकाएं।
- फिर उसके बाद आप अपने घुटनों को मोड़ें ताकि आपके पैर आपके बैठने की हड्डियों के साथ समानांतर स्थिति में फर्श पर सपाट हों जाएं, जो की आपके कूल्हों से लगभग एक फुट की दूरी पर हों। अपने पैरों को फर्श पर मजबूती से दबाएं।
- श्वास लेते हुए, हथेलियों को फर्श पर दबाते हुए पीठ और पेट को ऊपर उठाएं ।अपने सिर को अपनी चटाई पर हल्के से टिकाएं।
- अपने पैरों में अधिक पुश करें और अपना अधिक वजन अपनी हथेलियों में लाएं। यह आपकी पीठ के निचले वाले हिस्से की रक्षा करेगा।
- सिर और धड़ को उठाकर आप अपने हाथ-पैरों को सीधा करें।
- फिर आप अपने सिर को एक तटस्थ स्थिति में लटका दें, यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी गर्दन पर किसी भी प्रकार का दबाव न पड़े।
- अब एड़ियों को नीचे करें और इस अंतिम मुद्रा को यथासंभव आराम से पकड़ें। मुद्रा को बनाए रखते हुए सांस लेते रहें।
- सांस छोड़ते हुए सिर और शरीर के निचले हिस्से को धीरे-धीरे फर्श पर ले आएं।
- 30 सेकंड के लिए शवासन में हाथ, पैर और आराम को सीधा करें।
चक्रासन के लाभ
- ऊर्जा और गर्मी बढ़ाता है
- हाथ, पैर, पेट और रिड को मजबूत करता है |
- चक्रासन करने से तनाव और अवसाद दूर होता है |
- आँखों की रोशिनी तेज होती है
- अस्थमा के मरीजों को इस आसन का नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए क्यूंकि इसे करने से मरीजों के फेंफड़ों को अधिक मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है
- चक्रासन छाती को चौड़ा करता है
- यह कंधो और घुटनो को मजबूत बनाता है
- यह आसन पाचन सम्बन्धी परेशानिओ को दूर करता है
- आपके शरीर में स्फूर्ति लेकर आता है |
- यह पेट की चर्बी को ख़तम करता है |
- रीढ़ में लचीलापन बढ़ाता है
सावधानी बरतें
- यह आसन कठिन है इसे जबरदस्ती न करें |
- जिसपर यह आसन न हो उसे अर्धचक्रासन करना चाहिए |
- अगर आपकी पींठ या गर्दन में दर्द रहता है तो इस आसन को न करें |
- उक्त रक्त चाप में आप इसे न करें |
- गर्भवती महिलाएं इस आसन को बिलकुल न करें |
- पेट में सूजन रहने पर भी इस आसन को न करें |
- हर्निआ से पीड़ित हैं तो यह आसन न करें |
- हाथों में दर्द है तो भी इस आसन को न करें |
- अपने किसी योगगुरु के सामने ही इसे करने का प्रयास करें और फिर इसका नियमित रूप से अभ्यास करें |
3 Comments
Nice
ReplyDeleteVery nice article🙂
ReplyDeleteNice
ReplyDelete